कभी सच्चाई को स्वीकार न किया कभी सच्चाई को स्वीकार न किया। कभी सच्चाई को स्वीकार न किया कभी सच्चाई को स्वीकार न किया।
कवि के चश्में से दिखती दुनिया कवि के चश्में से दिखती दुनिया
दुनिया को मिले जहाँ स्वार्थ वो तो बस वही होगा। दुनिया को मिले जहाँ स्वार्थ वो तो बस वही होगा।
जो हुआ है अब तक और जो होना है उसको स्वीकार कर लें। जो हुआ है अब तक और जो होना है उसको स्वीकार कर लें।
यूं तो जाति धर्म का मर्म मुझको ना समझ आया। हम आपस में हैं एक बस यही बात मैं जान पाया।। यूं तो जाति धर्म का मर्म मुझको ना समझ आया। हम आपस में हैं एक बस यही बात मैं ज...
सबको खुश करने की यह लड़ाई आज भी मैं रही पराई। सबको खुश करने की यह लड़ाई आज भी मैं रही पराई।